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देश को जनसंख्या नियंत्रण कानून की आवश्यकता क्यों है? | WHY POPULATION CONTROL ACT IS NECESSARY FOR COUNTRY?


देश में हद से ज्यादा जनसंख्या होना देश पर एक बोझ बन जाता है, खास करके डेवलपिंग राष्ट्र में। ऐसे देशों में पहले से ही काम की कमी होती है और बेरोज़गारी हो जाती है, ऐसे में जनसंख्या अधिक होना मतलब गरीबी का अकड़ा बढ़ता है। यदि बाहर के देशों से अपने देश में इन्वेस्टमेंट हो रही है तो ठीक, वरना हालत बहुत बुरी हो जाती है।

कैसे जनसंख्या असर करती है देश की अर्थव्यवस्था पर?
१. जनसंख्या अधिक होने पर काम मिलना कठिन हो जाता है, क्योंकि लोग अधिक और काम कम ऐसी स्थिति बन जाती है।
२. काम ना मिलने पर गरीबी बढ़ जाती है।
३. मजदूर को कम पैसों के लिए काम करना पड़ता है क्योंकि अगर वो काम नहीं करेगा तो कोई और काम कर लेगा।
४. बच्चे ज्यादा पैदा करना और ऊपर से गरीबी की वजह से उनको ना पढ़ना यह गरीबी का आंकड़ा और तेजी से बढ़ाता है।
५. अगर देश में ही लोग बनाया हुआ उत्पादन इस्तेमाल कर के ख़तम कर रहे है, तो बाहर एक्सपोर्ट क्या करेंगे?

हमारे देश को पहले से सीमा और देश की सुरक्षा के लिए बहुत ज्यादा खर्च करना पड़ता है, क्योंकि हर तरफ हमारे शत्रु देश है। देश की अर्थव्यवस्था भी गिर रही है उपर से फालतू की जनसंख्या, तो देश की गरीबी कैसे खत्म होगी?

इसका अब एक ही उपाय है, जनसंख्या नियंत्रण करने के लिए नया कानून बनाना होगा, इस कानून के तहत पति पत्नी ने २ से ज्यादा बच्चे पैदा किए तो उन बच्चो को कोई सरकारी योजना का लाभ नहीं मिलना चाहिए एवं उनके चुनाव हक उनसे छीन लेने चाहिए।
दूसरे देश से शरणार्थियों पे पाबंदी लगा कर देश की डेमोग्राफिक स्थिति को जैसे के तैसे रख सकते है।

अगर यह कानून इंप्लीमेंट हो जाता है तो कुछ सालो में देश की जनसंख्या नियंत्रण में आ जाएगी, सरकार को साथ में पढ़ाई का प्रसार देश के कोने कोने में करना होगा जिसके कारण सब पढ़े लिखे बन जाएंगे और उन्हें काम के लिए ज्यादा से ज्यादा पगार मिलेगा।

डिजीटल इंडिया और "एक देश, एक भाषा" राष्ट्र को तेजी से पढ़ा लिखा बना सकता है इसमें कोई शक नहीं।

इस कानून कि आवश्यकता सिर्फ हमारे देश को नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को है मगर इस समय हमारे देश को इसकी बेहद जरूरत है।



POPULATION CONTROL BILL 2019 (BHARAT)
https://en.m.wikipedia.org/wiki/Population_Control_Bill,_2019 )


किस तरह "एक देश, एक भाषा" संकल्प देश की साक्षरता बढ़ा सकता है? | HOW CAN "ONE COUNTRY, ONE LANGUAGE" RESOLUTION INCREASE THE LITERACY OF THE COUNTRY?



क्या आपने कभी गौर किया है जिस देश की सिर्फ एक भाषा है उस देश में बहुसंख्य लोग पढ़े लिखे होते है?
जैसे चीन, अमेरिका, इंग्लैंड, पुर्तगाल, जर्मनी, स्पेन।

बचपन से हम जो भाषा सुनते है और बोलते है उस मातृभाषा में अगर हम पढ़े लिखे तो हमारी पढ़ाई तेजी से होती है, इसीलिए इन देशों में बच्चे तेजी से पढ़ते है क्युकी इनको पराई भाषा सीखने की जरूरत पड़ती ही नहीं।

भारत देश काफी भाषाओ में बटा हुआ है, जिसकी वजह से भारत के लोग धीरे धीरे अंग्रेज़ी की तरफ बढ़ रहे है। घर में बचपन से हिंदी बोलना, स्कूल में अंग्रेज़ी सीखना, फिर अंग्रेज़ी सीख कर आगे की पढ़ाई अंग्रेज़ी में करना; इस प्रक्रिया में काफी समय बर्बाद हो जाता है, जो बाकी देशों में नहीं होता।

चीनी, रूसी और यूरोपियन को अंग्रेज़ी बिल्कुल नहीं आती और उन्हें उस बात से कोई परेशानी भी नहीं होती क्युकी वो आत्मनिर्भर है इसीलिए ये भाषाएं दुनिया में शक्तिशाली और प्रमुख भाषाएं है।

भारत की कौनसी भाषा प्रमुख भाषा बन चुकी है दुनिया में पिछले ७० सालो में? क्या ये शर्म नहीं है देश के लिए?

आज दुनिया में भाषा translator खास चीनी, यूरोपियन भाषाओं के लिए बने है क्युकी ये लोग अपनी भाषा छोड़कर अंग्रेज़ी नहीं अपना रहे है।
भारतीय जनता गलत फहमी में जी रही है कि अंग्रेज़ी सीखो तो भारत अमेरिका बन जाएगा, अमेरिका बनने के लिए ज्ञान चाहिए जो बाटने के लिए सिर्फ एक भाषा की जरूरत है जो भारत के पास नहीं है।

सिर्फ "हिंदी" भाषा देश में ज्यादा बोली जाती है, इसी वजह से हिंदी राष्ट्रभाषा करने में कोई समस्या नहीं है। सबको अपनी सोच बदलनी होगी देश अपने आप बदल जाएगा। दक्षिण भारत वाले अपनी मातृभाषा से प्यार करने का बहाना बनाकर हिंदी विरोध करते है ( अगर ये लोग हिंदी को पराई भाषा मानते है, तो इंग्लिश को कैसे अपनी भाषा मान सकते है? ये हसीं वाली बात है)

आपको ये जान कर हैरानी होगी की दुनिया में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा चीनी है, अंग्रेज़ी नहीं।
( https://www.fluentin3months.com/most-spoken-languages/ )


कैसे सीखें हिंदी?
१. स्कूल में
२. Online
३. Apps भाषा हिंदी में बदले